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Mera Bachpan...


जिंदगी जो जीये हैं !
बचपन के ,
शायद वैसा कोई मंज़र नहीं !



पिताजी के दफ्तर से आने की ललक होती थी !
उनसे जो थैले को झपकना था !



थैले से मिले पसंद की वस्तु से खेलना था !
न मिले पसंद की वस्तु से मुँहफुला कर बैठना था !



पिताजी गुहार लगते थे !
आज ये ले लो ,
कल मै वो ला दूंगा !!!

न जाने वो भी कैसा मंज़र था !



उस बचपन मे पिताजी ,
एक सवाल होते थे !

बेटा तुमने खाये या नहीं !!!

पिताजी से लिपटना था !
उनके हाथों के दो निवाले खा कर पेट भरना था !


न जाने उस मंजर को वक्त ने,

 कब चुरा ले गया !


आज पिताजी के सवाल बदले हैं !
तो पिताजी के मानाने वाली आदते भी छूट चुकी हैं !

अब 
पिताजी के नये सवाल ये होते हैं !
बेटा तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है !


देखो उसने कर दिखाया ,
तुम कब कर के दिखा रहे हो !


हर रोज टूट कर जुड़ता हूँ !

हमेशा  उनके सवालों पर खामोश रहता हूँ !!!


Alone life हैं .

Alone matter हैं.

Then alone solution. .





Mera Bachpan... Mera Bachpan... Reviewed by Aapni Lafj on May 29, 2018 Rating: 5

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